Sunday, December 19, 2010

आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा ,
गम में छुपी गम कि तकलीफ को देखा !
हम सोचते थे आंसू बहाने वाला रखता है दर्द ,
आँखों के सूखे समंदर में मरे कस्ती सवार को देखा !
आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा ,
गम में छुपी गम कि तकलीफ को देखा !
बात कि नहीं जा रही थी रोते रोते ,
दर्द उसका महफ़िल में हर किसी ने देखा !
आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा ,
गम में छुपी गम कि तकलीफ को देखा !
छुपा के आंसू जिसने मुस्कुरा के दिखाया ,
उसके दिल को अकेले में आंसू बहाते देखा !
आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा ,
गम में छुपी गम कि तकलीफ को देखा !
ना आग थी ना पानी था वहां -२ ,
मिजाज़ उसका कभी गर्म कभी सर्द देखा !
आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा ,
गम में छुपी गम कि तकलीफ को देखा !
ना मुस्कुराहटो से छिपता है ना रोने से दिखता है ,
इस दर्द को हंसी से जीते आंसुओं से मरते देखा !
आज हमने गम को बड़ी नजदीक से देखा ,
गम में छुपी गम कि तकलीफ को देखा !
 

Prashant Kaushik © 2008. Design By: SkinCorner