Monday, January 31, 2011

Check out APNA BHARAT « PRASHANT KAUSIK

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Friday, January 28, 2011


Paharo se chalte chalte,
Samadaro se guzarte guzarte,
Yadon ke kaarwan se,
Mai tumhe hi doondhta hoo.

Apne har khwaiso me,
Rooh ki har aajmaiso me,
Har soch or har saaz me,
Mai toomhe hi doondhta hoo.

Muskura rahi hai tanhai meri,
Badalon si ho gayi rooswai meri,
Sayad yahi mukaddar hai mera,
Phir bhi mai toomhe hi doondhta hoon

Thursday, January 20, 2011

Suno bahut viran masum me
Tumhare dil me rosan ek dia,
meri nisani hai,
agar mai bhul jau,
to itna yaad rekhna tum,
samandar mera kissa hai
hawa meri kahani hai.

Wednesday, January 19, 2011

तड़प उसकी मोहब्बत की

फूलों से दोस्ती करके देखी ,अब काँटों को आजमाना है ,
मोहब्बत हमको मिले ना मिले ,दर्द से रिश्ता पुराना है !
अपने दिल की आखिरी ख्वाहिश पूछ ले ,
मेरे सफ़र को इक रात और है फिर चले जाना है !
दौर चाहे कैसा भी आये मुझको रोना नहीं है ,
बहा दे आज सारा जितना आंसुओं का खजाना है !
लोग कहते है तू ज्यादा मुस्कुराने लगा है ,
क्या बताऊँ ये तो जख्म छुपाने का बहाना है !
अब नहीं मुझे मरहम-ऐ-दर्द-ऐ-दिल की जरुरत,
अब तो काम मेरा वक़्त-बेवक्त जख्म दुखाना है !
उसका दिया जख्म मेरी ताकत सी बन गया है ,
ज़िन्दगी हर पल अब नया जोश नया तराना है !
आज तू तड़पता है उसकी मोहब्बत मैं
कल उसको अपनी गलती पे पछताना है

Thursday, January 13, 2011

ज़िन्दगी
हम जलते रहे शमां कि तरह हर पल,
इतने जले कि शब् भी सहर हो गई !
अब और नहीं जल सकता खत्म है आरजू ,
ये शब् भी तो खत्म होती नजर आती नहीं !

ये रस्ते ये मंजिले है पुराने हूँ वाकिफ में इनसे ,
इनसे गुजरा हूँ कई बार और फिर गुजर रहा हूँ !
मुझे मंजीलें मिली वो जो नहीं है काबिल मेरे ,
मेरी जरुरत है जो वो मंजिल नजर आती नहीं !

डर है ......
कहीं खो ना जाऊ इस ज़माने के गहरे रिश्तों में ,
बंधकर इनमे ना तड़पता रहू मैं बेजल मछली की तरह !
दो चार कदम ही तो और चलना है जिंदगी बीताने को ,
मुझे ये जिंदगी गुजरती भी तो नजर आती नहीं !

मौत भी तो देखो ज़माने को वफ़ा करना सिखाती है,
नहीं कोई करार आने का मगर जरुर आती है !
मौत कहती है तुने देखा ही कहाँ है ज़िन्दगी को ,
मैं तो हु साथ तेरे मगर ज़िन्दगी क्यों आती नहीं !

पता नही ....
अभी कुछ और पल मैं जिऊंगा या मरूँगा और थोडा ,
मर मर के तो मैंने खोजा है ज़िन्दगी को बहुत !
मुझको तो यकीं है वो मुझको मिल सकती है मोड़ पे ,
मगर सीधी है मेरी डगर मुड़ के ये जाती नहीं !
Kausik
 

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