Wednesday, January 19, 2011

तड़प उसकी मोहब्बत की

फूलों से दोस्ती करके देखी ,अब काँटों को आजमाना है ,
मोहब्बत हमको मिले ना मिले ,दर्द से रिश्ता पुराना है !
अपने दिल की आखिरी ख्वाहिश पूछ ले ,
मेरे सफ़र को इक रात और है फिर चले जाना है !
दौर चाहे कैसा भी आये मुझको रोना नहीं है ,
बहा दे आज सारा जितना आंसुओं का खजाना है !
लोग कहते है तू ज्यादा मुस्कुराने लगा है ,
क्या बताऊँ ये तो जख्म छुपाने का बहाना है !
अब नहीं मुझे मरहम-ऐ-दर्द-ऐ-दिल की जरुरत,
अब तो काम मेरा वक़्त-बेवक्त जख्म दुखाना है !
उसका दिया जख्म मेरी ताकत सी बन गया है ,
ज़िन्दगी हर पल अब नया जोश नया तराना है !
आज तू तड़पता है उसकी मोहब्बत मैं
कल उसको अपनी गलती पे पछताना है

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