Tuesday, October 18, 2011

मै हिन्दुस्तानी हूँ

न तू तू हूँ न मै मै हूँ , मै आज तेरी ही कहानी हूँ ,
सच कहता हूँ आज तो मै सिर्फ हिन्दुस्तानी हूँ,
मै ज्ञान नहीं, मै ध्यान नहीं, अरमां नहीं, भगवान नहीं,
मत देख तू मुझको प्यारे, मै तेरी ही आँखों का पानी हूँ,
सच कहता हूँ आज तो मै सिर्फ हिन्दुस्तानी हूँ,
... जो रूठ चले वो रूठ चले,
उनसे क्या सरोकार हमारा जिनके मंसूबे ऐसे टूट चले
हे खुदा तूने ये भेद क्यों बनाया है
हिन्दू ने क्या पाया जो मुस्लिम ने न पाया है,
सच कहता आज मै तेरी ही कहानी हूँ ,
आज तो मै सिर्फ हिन्दुस्तानी हूँ,
अब तक रक्तपात हुआ सिर्फ इस बटवारें से
ऐसा लगता जैसे आसमान बिछड़ गया हो तारे से
न मै शर्मा ,न मै वर्मा, मै शास्वत कर्मा हूँ ,
खान न कहना प्यारे मै खान नहीं खानदानी हूँ
न तू तू हूँ न मै मै हूँ , मै आज तेरी ही कहानी हूँ ,
सच कहता हूँ आज तो मै सिर्फ हिन्दुस्तानी हूँ,

Sunday, October 16, 2011

जिस दिन मेरी कलम बिकेगी, उस दिन मैं मर जाऊँगा ........

सागर होती होगी दुनिया, इक पल में मै तर जाऊँगा,
ठान लिया है जो मन में, इक दिन मै कर जाऊँगा,
वादा मेरा इस दुनिया से, इस जग में जीने वालों से,
जिस दिन मेरी कलम बिकेगी, उस दिन मैं मर जाऊँगा .........
ना समझौता न सुनवाई, ना काफ़िर की तारीखें
कलम उठाकर सस्त्र बनाकर सीधा ही लड़ जाऊँगा
जिस दिन मेरी कलम बिकेगी, उस दिन मैं मर जाऊँगा ........
मेरी शिक्षा मेरा धन है, जीवन है जो सब पर अरपन है
खौले खून तो जेठ महीना बहते आंसू सावन है
परछाईं में रहने वालों, मुझको पागल कहने वालों,
कलम बना के अपनी मलहम, पीड़ा सब हर जाऊँगा
जिस दिन मेरी कलम बिकेगी, उस दिन मैं मर जाऊँगा ........
जिस दिन मेरी कलम बिकेगी, उस दिन मैं मर जाऊँगा ........
 

Prashant Kaushik © 2008. Design By: SkinCorner