Sunday, October 16, 2011

जिस दिन मेरी कलम बिकेगी, उस दिन मैं मर जाऊँगा ........

सागर होती होगी दुनिया, इक पल में मै तर जाऊँगा,
ठान लिया है जो मन में, इक दिन मै कर जाऊँगा,
वादा मेरा इस दुनिया से, इस जग में जीने वालों से,
जिस दिन मेरी कलम बिकेगी, उस दिन मैं मर जाऊँगा .........
ना समझौता न सुनवाई, ना काफ़िर की तारीखें
कलम उठाकर सस्त्र बनाकर सीधा ही लड़ जाऊँगा
जिस दिन मेरी कलम बिकेगी, उस दिन मैं मर जाऊँगा ........
मेरी शिक्षा मेरा धन है, जीवन है जो सब पर अरपन है
खौले खून तो जेठ महीना बहते आंसू सावन है
परछाईं में रहने वालों, मुझको पागल कहने वालों,
कलम बना के अपनी मलहम, पीड़ा सब हर जाऊँगा
जिस दिन मेरी कलम बिकेगी, उस दिन मैं मर जाऊँगा ........
जिस दिन मेरी कलम बिकेगी, उस दिन मैं मर जाऊँगा ........

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