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Prashant Kaushik
Monday, March 7, 2011
फिर इक बार रौशन ये शमां हो जाए,
जो तेरी इंनायत इक बार दुबारा हो जाए,
मै फिर जाग उठूं इस सैया से
जो फिर इक बार क़यामत हो जाये................
To be continued.............
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