Tuesday, March 8, 2011
ख्वाइश
मेरी आँखों को कुछ अच्छा न लगे
कुछ ऐसे तुम मुझसे नज़रें मिलाना,
कि दिन का हर पल हर लम्हा सुहाना लगे
कुछ ऐसे तुम मेरे साथ कुछ वक़्त बिताना,
कि हँसी मेरे लबों से उतरना न चाहे
कुछ ऐसे मेरे लिए तुम मुस्कुराना,
कि हो जाये मुझे खुशियों कि आदत
कुछ ऐसे मेरी जिंदगी से ग़मों को मिटाना,
कि तुम देखती रहो मुझे हरदम
कुछ ऐसे तुम मुझे अपने सामने बिठाना,
कि मैं नाराज़ होना चाहूँ बार-बार
कुछ ऐसे तुम मुझे रूठने पर मनाना,
कि करता रहूँ तुझे प्यार उम्र भर
कुछ ऐसे शमा-ए-मुहब्बत को जलाना,
कि हो मेरे बसेरा कहीं और नामुमकिन,
कुछ ऐसे मुझे अपने दिल में बसाना,
कि बन जाओ मेरे दिल कि धड़कन
कुछ ऐसे मेरे दिल में समाना,
कि नामंज़ूर हो मुझे किसी और का होना
कुछ ऐसे तुम मुझे अपना बनाना,
कि मुझे बारिश कि बूँदे भी अधूरी लगे
कुछ ऐसे तुम मुझ पर प्यार बरसाना,
कि बन जाएं हम मुहब्बत की मिसाल
कुछ ऐसे तुम इस रिश्ते को निभाना,
कि जिंदगी का आखिरी पल भी हसीन लगे
कुछ ऐसे तुम मुझे अपने गले से लगाना,
कि मौत भी हमें जुदा न कर पाए,
कुछ ऐसे मैं तेरा हो जाऊँ, कुछ ऐसे तुम मेरी हो जाना,
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