कह दिया था सबकुछ आँखों से
फिर भी होंठ कपकपाया था
थामना न थामना थी तेरी मर्ज़ी,
मैंने तो अपना हाथ बढ़ाया था.
बुला रहा थी या कहा था अलविदा
देर तक हाथों को हिलाया था.
करता हूँ इंतज़ार ख्वाबों में
ख्वाबों को तुने दिखाया था
अब भी याद करती क्या मुझको
हिचकी ने कल नींद से जगाया था............
Tuesday, March 22, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment