Tuesday, February 8, 2011

बचपन


इस दागदार दुनिया में , गुनाह लगता हैं हैं बड़ा हो जाना....
बस बचपन दिखता बेदाग यहाँ....,
गुजारिश मेरे मौला मुझे सच्चा जी लेने दे ..
इस दुनिया में मुझे बच्चा फिर से हो लेने दे ....

कुछ कह ना सकूँ , चुप रह ना सकूँ,
जीवन की इन राहों में
अब तो मैं जी ना सकूँ , मर न सकूँ,
मेरे मौला अब तो इन राहों में मुझे कच्चा रह लेने दे,
मेरे दिल कि कुछ बातें दिल की ज़ुबानी कह लेने दे
इस दुनिया में मुझे बच्चा फिर से हो लेने दे ....

जीवन का वो पल भी अजीब होता था.
न हँसने की वजह ही होती थी न रोने का बहाना होता था
अब तो मेरे दिल का हर कोना जैसे सुना सुना रहता है,
ना तो अब ये हँसता है ना ही अब ये रोता है,
गुजारिश मेरे मौला फिर से कुछ पल तो हँसने और रोने दे,
कुछ पल फिर से जी लेने दे,
इस दुनिया में मुझे बच्चा फिर से हो लेने दे ....

0 comments:

Post a Comment

 

Prashant Kaushik © 2008. Design By: SkinCorner