
वो मेरी कश्ती, वो बारिश का पल,
वो मेरा आँगन और आँगन की बाती,
माँ की वो ममता, वो किस्से कहानी,
अब तो छूटा मेरा बचपन वो उसकी निशानी............
वो आँगन की महफ़िल,
वो मेरा मचलना,
वो खिलखिलाना आटें की चिड़ियाँ को पाकर,
वो फूलों की कलियाँ, वो डेहरी पर बादल,
कैसे भुला दूं मै वो बचपन, वो उसकी निशानी.....................
वो माँ का बुलाना और मेरा सताना,
वो दादी का चश्मा लेकर छुपना छुपाना,
कैसे पुकारूँ मै उस पल को,
अब तो लगता ये सूना जमाना.....................
वो मस्तियां वो शेखियां अब मुझे कोई लौटा दे,
उन बचपन के गलियों का आज फ़िर से पता दे|
इस जवानी के मेले में तन्हा सा हो गया हू मैं,
यादों के धागों में सपनों के मोती पिरो कर
कोई तो मेरे उस बचपन का पता दे॥
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