प्यार है अगर दिल में तो फिर
बेरुखी को छोडि़ए
आदमी हैं हम सभी
इस दुश्मनी को छोडि़ए
गैर का रोशन मकां हो
आज ऐसा काम कर,
जो जला दे आशियां
उस रोशनी को छोडि़ए
हैं मुसाफिर हम सभी
कुछ पल मिलजुल कर रहें
दर्द हो जिससे किसी को
उस खुशी को छोडि़ए
प्यार बांटो जिंदगी भर
गम को रखो दूर-दूर
फिक्र आ जाए कभी तो
जिंदगी को छोडि़ए
गुल मोहब्बत के जहां पर
खिलते हों अकसर
ना खिलें गुल जो वहां तो
उस जमीं को छोडि़ए
जानते हैं हम कि दुनिया
चार दिन की है यहां
नफरतों और दहशतों की
उस लड़ी को छोडि़ए
Wednesday, February 16, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment