आज चलो फिर एक इजहार करता हूँ,
ए खुदा, मै तुझसे इश्क-ए-इकरार करता हूँ...
इस चमन-ए-दहर में अब किस से दिल लगायें,
चलो अब तुमसे गुफ्तार करता हूँ.................................
टुटा है ये दिल दुनिया से,
तेरा तगाफुल अब सह न पाउंगा,
जिंदगी की अब शब भी सहर गयी,
अब तो चेहरे पे तबस्सुम दे दे,
अब तो तुझमे ही फिरदौस दिखता है......
अब तो तेरे तलत-ए-मेहर का इंतजार करता हूँ....................
वो मेरा दिल ही क्या जिसकी इल्तजा तुझसे मिलने की ना हो,
मै रहगुज़र जाऊंगा अगर तू संग बन गया हो,
तू परेशां न हो और कुछ देर पुकारुंगा चला जाऊंगा,
शब-ए-तारीक गुजारुंगा चला जाउंगा,
तेरे दर पे बस ये हिज्र सह नहीं सकता,
इसलिए ये इजहार करता हूँ,
ए खुदा, मै तुझसे मोहब्बत का इकरार करता हूँ...
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शब्दों का अर्थ- चमन-ए-दहर: दुनिया, गुफ्तार; बातचीत करना, तगाफुल; उपेकछा करना
शब: रात, सहर:गुजरना, तबस्सुम; मुस्कुराहाट, फिरदौस: स्वर्ग, तलत-ए-मेहर:दया
शब-ए-तारीक: रात, हिज्र; जुदाई...........
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