Thursday, February 17, 2011

मेरी कसम

तुझसे मिलकर ये क्या गजब कर चले,
दिल में दर्द ये अजब भर चले,
कल तक वीरान थी जो जिंदगी,
आज उसे रौशाने-गुलज़ार हम कर चले.......

खुदाया अब रहेगी या जाएगी मेरी जां,
अब तो ये खौफ भी हम छोड़ चले,
अब यूं आँखे चुराने से क्या होगा,
जब हम अपना ये नूर ही छोड़ चले.........

चुना जिनकी राहों से कांटे,
वे उन राहों को ही छोड़ चले,
मन वे खफा हैं ज़माने से,
अब हमसे भी मुह मोड़ चले....

अब तो ये तुझ पर ही ही है उम्मीदे-चिराग,
तू जलाकर चले या बुझाकर चले.........

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